अगर किसी वृक्ष में ना कंद - ना मूल ना फल - ना फूल और न छाया फिर भी वे जीते हैं अपनी मृत्यु अपना जन्म ईंधन बनकर किसी की रोटी के लिए सबकी रोशनी के लिए
हिंदी समय में सुरजन परोही की रचनाएँ