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कविता

रोशनी के लिए

सुरजन परोही


अगर किसी वृक्ष में
ना कंद - ना मूल
ना फल - ना फूल
और न छाया

फिर भी वे
जीते हैं अपनी मृत्यु
         अपना जन्म
ईंधन बनकर
किसी की रोटी के लिए
सबकी रोशनी के लिए

 


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